उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव न हो पाने के कारण सरकार ने प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए और बढ़ा दिया है। शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु द्वारा बीते रविवार को इस संबंध में आदेश जारी किये गए। दरअसल, वक्त पर चुनाव न होने और निर्वाचित बोर्ड का गठन नहीं होने से राज्य के नगर निकायों में संवैधानिक संकट की नौबत आ गई थी।
गौरतलब है, कि राज्य में एक चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान अन्य चुनाव की आचार संहिता लागू नहीं की जा सकती है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता 6 जून को समाप्त होगी, ऐसे में यदि सरकार 6 जून को निकाय चुनाव की घोषणा कर भी दे, तो इस अवधि तक निकाय किसके नियंत्रण में रहेंगे, इसका संवैधानिक संकट उत्पन्न हो रहा था।
इसी के मद्देनजर उच्च स्तरीय विचार-विमर्श के बाद सरकार को प्रशासकों का कार्यकाल तीन महीने अथवा नगर निकायों के बोर्ड का गठन होने तक बढ़ाने के आदेश जारी करने पड़े। समाचार एजेंसी एएनआई की एक्स पोस्ट के अनुसार, “उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास विभाग ने नगर निकायों की चुनाव प्रक्रिया को लेकर एक आदेश जारी किया है, जिसमें प्रशासकों का कार्यकाल 3 महीने या नगर निकायों के बोर्ड के गठन होने तक बढ़ा दिया गया है।
Urban Development Department of the Uttarakhand government has issued an order regarding the election process of municipal bodies, in which the tenure of administrators has been extended by 3 months or till the formation of the board of municipal bodies. pic.twitter.com/B5MPQU240b
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 2, 2024
जैसे संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है, कि निकाय चुनाव अब तीन महिनें के अंदर ही होंगे। बता दें, कि पिछले साल 1 दिसंबर 2023 को सभी नगर निकायों के बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकार ने प्रशासक तैनात कर दिए थे। प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल बीते रविवार दो जून को पूरा हो गया है, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता छह जून तक लागू है। ऐसे में प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए अथवा निकाय चुनाव होने तक बढ़ा दिया है।
उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में सरकार ने शपथ पत्र दिया है, कि 30 जून तक निकाय चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे। इसके साथ ही सरकार को निकायों में ओबीसी आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण समेत कुछ अन्य मामलों के दृष्टिगत निकाय अधिनियम में संशोधन भी करना है, लेकिन राज्य में वर्तमान में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी है।
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है, कि निकाय अधिनियम में संशोधन के लिए वित्त, कार्मिक व न्याय विभाग से परामर्श मांगा गया है। कुछ बिंदुओं पर सहमति मिल चुकी है, जबकि ओबीसी आरक्षण आदि को लेकर मंथन चल रहा है। तीनों विभागों से परामर्श के बाद चुनाव आयोग से इस संबंध में अनुमति मांगी जाएगी।