चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी के लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद अपने पैतृक घर पहुंचा। छह गनेडियर रुद्रप्रयाग की बटालियन ने पार्थिव शरीर को गाैचर हेलीपैड पर सलामी दी। गुरुवार (3 अक्टूबर 2024) को शहीद नारायण सिंह का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद नारायण सिंह को उनके भतीजे जयवीर सिंह व सुजान सिंह ने मुखाग्नि दी।
बता दें, कि हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे की दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों के बीच वर्ष 1968 में हुए विमान हादसे में लापता थराली ब्लाक के कोलपुड़ी गांव निवासी जवान नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर के अवशेष सेना के विशेष विमान से बीते बुधवार को देहरादून से गौचर हवाई पट्टी लाया गया।
इस मौके पर स्थानीय प्रशासन और रुद्रप्रयाग से पहुंची सेना की टुकड़ी ने बलिदानी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। बलिदानी के पार्थिव शरीर के अवशेष गुरुवार सुबह कोलपुड़ी गांव पहुंचाए गए, जहां पैतृक घाट पर बलिदानी को अंतिम विदाई दी गई।
56 साल बाद भी अपने शहीद को न भूले वो है हमारी देवभूमि 🙏🚩🇮🇳
आर्मी मेडिकल कोर में तैनात चमोली जनपद के सैनिक नारायण सिंह बिष्ट का पार्थिव शरीर आज सेना द्वारा उनके गांव लाया गया और पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया#Uttarakhand https://t.co/HN8VQqhNX4 pic.twitter.com/XRjJpI7RRq
— Pyara Uttarakhand प्यारा उत्तराखंड (@PyaraUKofficial) October 3, 2024
बलिदानी नारायण सिह के भतीजे कुंवर सिह बिष्ट ने बताया, उन्हें फोन पर पार्थिव शरीर के अवशेष रुद्रप्रयाग स्थित रेजीमेंट पहुंचाए जाने की जानकारी मिली थी। गुरुवार को सेना के वाहन से पार्थिव शरीर के अवशेष अंतिम दर्शन के लिए पैतृक गांव लाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्राम पंचायत कोलपुड़ी के प्रधान जयबीर सिंह बिष्ट ने बताया, कि उनके ताऊ नारायण सिंह का विवाह वर्ष 1962 में बसंती देवी के साथ हुआ था। सेवाकाल के दौरान उनका गांव आना वर्ष में सिर्फ एक ही बार होता था। इसी बीच वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के निकट वायुसेना का एएन-12 विमान क्रैश हो गया था।
Uttarakhand : 56 साल बाद सैनिक का पार्थिव शरीर पहुंचेगा पैतृक गांव, प्लेन क्रैश में हो गए थे लापता
इस घटना को कई वर्ष बीत जाने के बाद सर्च अभियान में 56 साल बाद जिन चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं, उनमें एक कोलपुड़ी गांव के नारायण सिंह का शव भी शामिल था। बलिदानी नारायण सिह के भतीजे ने बताया, कि बीते सोमवार को वायु सेना के अधिकारियों ने इस संबंध में सूचना भिजवाई। उन्होंने बताया, कि जेब में मिले पर्स में एक कागज में नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी नाम दर्ज था। साथ ही उनकी वर्दी के नेम प्लेट पर भी उनका नाम अंकित था।
बता दें, कि सात फरवरी 1968 को वायुसेना के विमान ने चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरी थी। लेह मे मौसम खराब होने के कारण यह विमान वापस लौट गया। इस बीच हिमाचल प्रदेश के रोहतांग रेंज के अंतर्गत ढाका ग्लेशियर में विमान दुघर्टनाग्रस्त हो गया। जिसके बाद विमान और इसमें सवार 102 सैनिकों का कुछ पता नहीं चल सका था।