देवभूमि उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम में दर्शनों के लिए आने वाले तीर्थयात्री जल्द ही पुराने पैदल मार्ग से भी धाम पहुंच सकेंगे। वन भूमि का पेंच हटने के बाद रामबाड़ा से गरुड़चट्टी के बीच लगभग 0.983 हेक्टेयर वन भूमि लोनिवि को हस्तांतरित होने के साथ ही पैदल मार्ग निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। बता दें, कि गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक पहले ही 3.5 किमी पैदल मार्ग का निर्माण हो चुका है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आने वाले कुछ वर्षों में पुराने पैदल मार्ग से भी भगवान केदारनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचा जा सकेगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.3 किमी पैदल मार्ग को अनुमति दे दी है। इस पैदल मार्ग को वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था, लेकिन वन भूमि स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्ण ना होने के चलते बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी।
उत्तराखंड के पीडब्लूडी के सचिव पंकज पांडे ने बताया, ”पैदल मार्ग को लेकर एक प्लान किया था, जिसमें फॉरेस्ट की अनुमति मिल चुकी है। इस कार्य के लिए टेंडर किए जा रहे है। उन्होंने कहा, ”केदारनाथ धाम तक जाने वाले पुराने पैदल मार्ग को एक बार फिर तैयार किया जा रहा है। पुराने पैदल मार्ग के फिर से बनने के बाद केदारनाथ धाम की दूरी लगभग 4 से 5 किलोमीटर कम हो जाएगी। यह तीर्थ यात्रियों के लिए बड़ी राहत की बात है।
गौरतलब है, कि केदारनाथ आपदा के लगभग दस साल बाद रामबाड़ा और गरुड़ चट्टी से होकर जाने वाले पुराने मार्ग को दोबारा तैयार होने पर दूरी और समय दोनों ही कम हो जाएंगे। साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई भीषण आपदा में न सिर्फ मंदिर के आसपास बल्कि केदारनाथ धाम तक जाने वाला पुराना पैदल मार्ग भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था।
विशेषज्ञों ने पुराने पैदल मार्ग को दोबारा तैयार करने की बात कई बार कही थी, लेकिन इस पर मंजूरी नहीं मिली थी। मौजूदा समय में केदारनाथ जाने के लिए रामबाड़ा से लिनचोली होते हुए पैदल मार्ग है। इस मार्ग में कई बड़े एवलांच आते है, जो यात्रा के दौरान बड़ा खतरा पैदा करते है। यही वजह है, कि विशेषज्ञों ने इस रास्ते के बजाय केदारनाथ जाने के पुराने रास्ते का उपयोग किए जाने का सुझाव दिया था।