उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भी वर्तमान में राज्य की जेलों में उत्तर प्रदेश के जमाने के कानून चल रहे है। हालांकि उत्तर प्रदेश में समय- समय पर जेल एक्ट में कई बदलाव किए, लेकिन उत्तराखंड में अपना कोई एक्ट नहीं होने के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब जल्द ही उत्तराखंड का अपना जेल एक्ट अस्तित्व में आने जा रहा है। इस समय इसके हिंदी संस्करण पर कार्य चल रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस एक्ट में जेलों के वर्गीकरण, कैदियों को दी जाने वाली सुविधाएं, पैरोल दिए जाने की व्यवस्था, कैदियों के कार्य, जेलों में में प्रशासनिक व्यवस्था, कार्मिकों की तैनाती आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसकी रुपरेखा तैयार करने के लिए पड़ोसी राज्य यूपी के साथ ही केंद्र के प्रिजन एक्ट मॉडल का सहारा लिया जा रहा है। यह पूरा एक्ट एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। इसके बाद इस जेल एक्ट को अनुमोदन के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दें, साल 2017 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अपने यहां नए सिरे से जेल एक्ट बनाने के निर्देश जारी किए थे। इसके साथ ही केंद्र की नियमावली भी भेजी गई गई थी। केंद्र की नियमावली में स्पष्ट किया गया था, राज्य यदि चाहे, तो इस नियमावली से सुझाव ले सकते है।
केंद्र की नियमावली में कैदियों की सुविधाओं विशेषकर स्वास्थ्य आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है। केंद्र की नियमावली में यह भी स्पष्ट किया गया है, कि कौन सी श्रेणी का अपराधी किस बैरक में रहेगा और इन्हें कौन सी सुविधा प्रदान की जाएगी। इस नियामवली में कैदियों की शिक्षा के साथ ही स्वरोजगार परक शिक्षा पर भी अधिक बल दिया गया है।
अब राज्य सरकार ने केंद्र की नियमावली के आधार पर इस एक्ट को बनाने के लिए कार्य शुरू कर दिया है। इस एक्ट में कैदियों की सुविधाओं पर सबसे अधिक जोर दिया गया है। इसके अलावा कैदियों के लिए जेल में शिक्षा की क्या सुविधा होगी, स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उन्हें कैसे दिया जाएगा, कैसे उन्हें स्वरोजगारपरक कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा, यह सब अलग-अलग विषयों में शामिल किया गया है। एक्ट अंग्रेजी भाषा में तैयार किया गया है, जिसे अब हिंदी भाषा में तैयार किया जा रहा है।