उत्तराखंड की धामी सरकार उपद्रवियों के ऊपर लगाम कसने के लिए एक्शन ले रही है। इसी क्रम में विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर नकेल कसने के लिए उत्तराखंड लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड सार्वजनिक (सरकारी) और निजी संपत्ति क्षति वसूली (अध्यादेश) अधिनियम 2024 को मंजूरी प्रदान करने के लिए राज्यपाल का हार्दिक आभार व्यक्त किया है। सीएम धामी ने कहा, कि देवभूमि उत्तराखंड में कानून व्यवस्था और प्रकृति से छेड़छाड़ की इजाजत किसी को नहीं है। उन्होंने कहा, कि राज्य में इस कानून का सख्ती से पालन किया जाएगा।
Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami has expressed his heartfelt gratitude to the Governor for approving the Uttarakhand Public (Government) and Private Property Damage Recovery (Ordinance) Act 2024. The Chief Minister said that under this law, the damage caused to… pic.twitter.com/CxGrlP8Wp8
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 19, 2024
धामी सरकार ने विधानसभा बजट सत्र के दौरान ‘उत्तराखंड सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक’ को पेश किया था। राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जहां इस तरह का कानून लागू है। बता दें, कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पहले से ही सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर वसूली के लिए कानून बने हुए है।
इस संशोधन विधेयक में दंगा-उपद्रव में किसी व्यक्ति की मौत या संपत्ति के नुकसान पर मुआवजे की रकम की वसूली दोषी व्यक्ति से करने का प्रावधान है। इसके तहत, हड़ताल, दंगा, बलवा या सामूहिक भीड़ द्वारा केंद्र अथवा राज्य सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से उक्त नुकसान की भरपाई की जाएगी, इस के साथ साथ सरकार ने इस अधिनियम में निजी लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से भी वसूली का प्रावधान रखा गया है।
इस संबंध में एक दावा अभिकरण का गठन किया जाएगा। इसमें कोई भी व्यक्ति और सरकारी संपत्तियों का प्राधिकारी इस दावा अभिकरण में अपना दावा पेश कर सकेगा। इस दावे का निपटारा भी निश्चित समय अवधि में होगा, ताकि जल्द से जल्द नुकसान की भरपाई नुकसान करने वाले से हो सके।
यदि किसी आंदोलन, बंद आदि में संपत्तियों को नुकसान पहुंचता है तो इसकी भरपाई संबंधित बंद या आंदोलन का आह्वान करने वाले नेता से की जाएगी। क्षतिग्रस्त संपत्ति की भरपाई के अलावा आठ लाख तक का जुर्माना और दंगा नियंत्रण पर सरकारी अमले का खर्चा भी भरेगा।
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है, कि विधेयक हल्द्वानी हिंसा का नतीजा है, जिसमें बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम पर उपद्रवियों ने हमला बोल दिया था। भारी पथराव के साथ आगजनी और गोलीबारी के बीच उपद्रवियों ने कई गाड़ियों के साथ ही थाने को घेरकर आग के हवाले कर दिया गया था। एक अनुमान के अनुसार, इस हिंसा में करीब दस करोड़ का नुकसान, सरकारी और निजी संपत्ति का हुआ था।