उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) ने पूर्व में हुई भर्ती परीक्षाओं में नकल करते हुए पकड़े गए 180 अभ्यर्थियों पर सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंधित अभ्यर्थियों में 26 महिलाएं भी शामिल है। आयोग ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए नकलची अभ्यर्थियों की सूची अपनी वेबसाइट पर जारी कर दी है।
आयोग के सचिव एसएस रावत के मीडिया को जानकारी दी, कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा 2021, वन दरोगा ऑनलाइन परीक्षा 2021, सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा 2021 और वीपीडीओ भर्ती परीक्षा 2016 में अनुचित साधनों में संलिप्त 180 अभ्यर्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिनमें से कई अभ्यर्थियों के नोटिस आयोग में वापस आ गए थे। आरोपित अभ्यर्थियों को अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं में अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पकड़ा गया था।
आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों के लिए संयुक्त सूचना वेबसाइट पर 29 अप्रैल को प्रकाशित करने के बाद उनसे अपने जवाब मांगे थे। उत्तर दिए जाने वक्त खत्म होने के बाद आयोग ने सभी जवाबों का परीक्षण किया। परीक्षण के बाद यह निष्कर्ष सामने आया, कि किसी भी अभ्यर्थी का जवाब संतोषजनक नहीं है। अभ्यर्थी ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं कर पाए, जिससे ये सिद्ध हो सके, कि उन्होने अनुचित साधनों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ऐसे में अभ्यर्थियों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया।
इसके बाद आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया, कि चारों भर्ती परीक्षाओं में ये 180 अभ्यर्थी संलिप्त थे, जिसके चलते उन्हें पांच वर्ष के लिए आयोग की सभी भर्ती परीक्षाओं से डिबार(प्रतिवारित) कर दिया गया है। अब ये सभी नकलची अभ्यर्थी आयोग की किसी भी परीक्षा में अगले पांच वर्षो तक शामिल नहीं हो पाएंगे। उल्लेखनीय है, कि आयोग द्वारा 21 मई को सचिवालय सुरक्षा संवर्ग रक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित होने जा रही है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने कहा, कि यह कदम भर्ती परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करने वाले और नकल करवाने वाले सभी के लिए एक कड़ी चेतावनी है। उन्होने कहा, कि नकल में शामिल दोषी शख्स को किसी भी दशा में छोड़ा नहीं जायेगा।