उत्तराखंड उच्च न्यायालय में गुरुवार (23 नवंबर 2022) को विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को एकलपीठ द्वारा बहाल किए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली विधानसभा द्वारा दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई की गई। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को उचित ठहराया है।
#Uttarakhand में विधानसभा सचिवालय के 228 कर्मी होंगे बर्खास्त
नैनीताल हाईकोर्ट ने फैसले को ठहराया सही, हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को माना सही, पूर्व में एकलपीठ ने इस आदेश…#HighCourt pic.twitter.com/HjHVgNjU7G
— First India News (@1stIndiaNews) November 24, 2022
उल्लेखनीय है, कि उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाला प्रकरण सामने आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी द्वारा एसआईटी गठित कर विधानसभा से 228 पद निरस्त कर दिए थे। जिसके बाद नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों ने नैनीताल हाई कोर्ट का रुख किया था।
मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए सभी 228 पदों पर एक बार फिर से नियुक्ति देने का फैसला सुनाया था, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने सिंगल बेंच से हटकर इस मामले को डबल बेंच कोर्ट में ले जाने का निर्णय किया। अब गुरुवार को उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को उचित ठहराया है।
हाई कोर्ट के निर्णय के बाद विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने स्पष्ट तौर पर कहा है, कि तदर्थ नियुक्तियों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि याचिकाकर्त्ता सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय भी करते है, तो भी सरकार अपने निर्णय पर अडिग है। बता दें, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी भूषण ने विधानसभा में बैकडोर से हुईं 250 भर्तियां निरस्त कर दी थी। इनमें 228 तदर्थ और 22 उपनल के जरिये से हुईं नियुक्तियां शामिल थी।
वहीं उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले मामले में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध जांच बैठा दी गई थी। विधानसभा में हुईं भर्तियों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपी थी। इस रिपोर्ट की रिकमेंडेशन के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां को रद्द कर दिया गया था।