15 वर्षीय किशोरी को जब मां ने नीट की कोचिंग के लिए राजस्थान के कोटा शहर भेजने से इंकार कर दिया, तो वह अपने दादा की सहायता से हाई कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर किशोरी ने कहा, कि वह अपना करियर बनाने के उद्देशय से कोटा कोचिंग करने के लिए जाना चाहती है, जिसका उसके पिता भी समर्थन करते हैं, लेकिन माँ इसका विरोध करती है और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसका विवाह करना चाहती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऊधमसिंह नगर जिले की रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी की इच्छा डॉक्टर बनने की है और इसकी कोचिंग करने के लिए वह राजस्थान के कोटा जाना चाहती है। लेकिन मां के विरोध के चलते उसे अदालत का रुख करना पड़ा। हालांकि हाई कोर्ट ने किशोरी की याचिका को खारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा, कि परिवार के भीतर उत्पन्न कलह से किशोरी को किसी तरह का खतरा पैदा नहीं है।
किशोरी ने मामले में बाल कल्याण समिति को हस्तक्षेप करने के निर्देश देने की प्रार्थना की थी। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिका को अस्वीकार करते हुए कहा, कि पूरी याचिका में कोई आरोप नहीं है, कि याचिकाकर्त्ता का जीवन या स्वतंत्रता खतरे में है।
हाई कोर्ट ने कहा, कि याचिका में जैसा दावा किया गया है, ऐसे में सुरक्षा देने का कोई मामला नहीं बनता है। खंडपीठ ने यह कहते हुए किशोरी की याचिका को खारिज कर दिया, कि देश में स्थिति इतनी भी खराब नहीं हुई है, कि न्यायपालिका को घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करना पड़े।