देवभूमि उत्तराखंड में दो तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक जो ओपिनियन पोल सामने आ रहे है, उनमें भारतीय जनता पार्टी को शुभ संकेत मिलते दिखाई दे रहे है। राज्य के युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी की बेदाग छवि का असर अब नजर आने लगा है। हालाँकि छह – सात महीने पहले इस प्रकार की स्थिति नहीं थी।
पिछले दो तीन वर्षो से उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहित और संत समाज सरकार की नीतियों से खासे नाराज चल रहे थे। इसके अलावा पार्टी के अंदर से भी बगावत के सुर तेजी से उभरने लगे थे। इस स्थिति में उत्तराखंड में होने वाले आगामी चुनावों में भाजपा के लिए बहुत शुभ संकेत के आसार नजर नहीं आ रहे थे। इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी भाजपा के असंतुष्ट नेताओ को साधने के प्रयास में जुट गया था।
भाजपा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पिछले साल चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अचानक तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पद से हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था। दोनों कद्दावर नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेता बताये जाते है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने को लेकर पार्टी में कोई खास विवाद उत्पन्न नहीं हुआ, और ना ही उनके उनके द्वारा किये गए विकास कार्यो को लेकर कोई विरोधाभास था। हालाँकि तीरथ सिंह रावत मात्र एक महीने तक ही राज्य के सीएम बने रहे।
मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी तीरथ सिंह रावत को सौंपे जाने के बाद भी भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों को आगामी विधानसभा चुनाव की डगर आसान नजर नहीं आ रही थी। दरअसल भाजपा के वर्तमान कार्यकाल पर अभी तक विपक्षी दलों ने भ्रष्टाचार के कोई विशेष आरोप नहीं लगाए है। परन्तु यह बात जग जाहिर थी, कि ब्यूरोक्रेसी पर उस वक्त सरकार का कोई नियंत्रण नहीं था। इस कारण भाजपा कार्यकर्ता भी अपने आप को असहाय महसूस कर रहे थे।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई, लेकिन उनके द्वारा महिलाओं के ‘रिप्ड जीन्स’ पहनने को लेकर दिया गया बयान राष्ट्रीय मुद्दा बन गया, जिसने भाजपा संगठन को भी असहज की स्थिति पर ला खड़ा किया। इसके साथ ही तीरथ सिंह रावत के विधानसभा चुनाव को लेकर भी संसय की स्थिति थी। साथ ही तीरथ सिंह रावत ‘चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ को लेकर तीर्थ पुरोहितो के आक्रोश को साधने में नाकाम रहे।
इसके बाद राज्य के पूर्व सीएम और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने मोर्चा सभांलते हुए भाजपा के कुछ वरिष्ठ विधायकों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। स्पष्ट तौर पर तो इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है, लेकिन माना जा रहा है, कि भगत सिंह कोशियारी के सुझाव पर ही 46 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी को राज्य के सीएम का दायित्व सौंपा गया था। बता दें, करीब बीस साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के सलाहकार और ‘ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी’ की भूमिका पुष्कर धामी निभा चुके है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार विधायक चुन कर आये है, और आगामी विधानसभा चुनावो में तीसरी बार जीत दर्ज करने के इरादे से मैदान में उतरेंगे। उल्लेखनीय है, कि पुष्कर धामी सीएम बनाने से पूर्व किसी विभाग के मंत्री भी नहीं बने थे। लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट सीएम धामी को 2008 में भाजपा जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इससे पहले धामी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सक्रिय सदस्य के रूप में जुड़े हुए थे।
हाल ही में ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ द्वारा किये गए एक ओपिनियन पोल में उत्तराखंड विधानसभा में भाजपा को 42 से लेकर 48 सीट मिलने का दावा किया है, जबकि कांग्रेस पार्टी के 12 से 16 सीटों पर सिमटने का पूर्वानुमान लगाया गया है। ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ द्वारा किये सर्वे में मात्र छह महीने पहले मुख्यमंत्री बनाए गए पुष्कर सिंह धामी को सीएम पद के लिए लगभग 40.15% लोगों ने अपना पसंदीदा उम्मीदवार बताया है।
सर्वे के अनुसार, उत्तराखंड में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए यह सर्वे राहत भरी खबर है, कि प्रदेश के युवा वर्ग में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खासे लोकप्रिय है। इसी के साथ ‘चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम’ को रद्द कर सीएम धामी ने तीर्थ पुरोहितो की नाराजगी को भी दूर कर दिया है।
इसे मुख्यमंत्री धामी का कुशल प्रबंधन और सटीक रणनीति का परिणाम ही माना जाएगा, कि मीडिया में वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत के संबंध में जो बगावत की खबरें चल रही थी, उसे मुख्यमत्री धामी ने हरक रावत के साथ भोजन करके इन खबरों को पूर्णतः विराम दे दिया था। हालाँकि कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आये यशपाल आर्य अपने पुत्र संजीव आर्य के साथ वापस कांग्रेस में चले गए है, लेकिन भाजपा को इसका आगामी चुनाव में कितना नुकसान पहुंचेगा, यह चुनाव परिणामो के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा।
कुछ दिनों पहले एकदिवसीय दौरे पर हल्द्वानी पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री धामी के कंधे पर हाथ रख उनका कुशल क्षेम पूछा, उससे यह स्पष्ट हो जाता है, कि जिस प्रकार यूपी में भाजपा संगठन को सीएम योगी आदित्यनाथ पर पूरा भरोसा है, ठीक उसी प्रकार उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के साथ संगठन मजबूती के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा, कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री धामी नया इतिहास रचते हुए भाजपा को उत्तराखंड में एक फिर ऐतिहासिक जीत की दहलीज तक पंहुचा पाएंगे ?