
CM धामी नीति आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला में हुए शामिल,(फोटो साभार: (X/@pushkardhami)
भारत सरकार के नीति आयोग ने सोमवार (17 फरवरी 2025) को अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र और जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी, अल्मोड़ा के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया। देहरादून में आयोजित कार्यशाला में मुख्यमंत्री धामी ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा, “उत्तराखंड को ‘देश का वाटर टॉवर’ कहा जाता है और प्रदेश में जल संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए हमने स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवेनेशन एजेंसी (SARA) का गठन किया है। इसके माध्यम से, प्रदेश में 5500 जमीनी जल स्रोतों और 2292 सहायक नदियों का चिन्हांकन कर उनका पुनरुद्धार और संरक्षण कार्य किया जा रहा है।”
"उत्तराखंड देश का वाटर टॉवर भी है। हमारे यहां एक हजार ग्लेशियर पानी के अविरल स्रोत हैं। यहां से निकलने वाली नदियां देश की आजीविका का मुख्य आधार हैं।": माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी pic.twitter.com/GOFMMZLbdB
— Office Of Pushkar Singh Dhami (@OfficeofDhami) February 17, 2025
सीएम धामी ने कहा, “हमारी सरकार, इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच संतुलन बनाए रखते हुए प्रदेश के समग्र विकास के लिए निरंतर कार्यरत है। इस कार्यशाला में किए गए मंथन से जो विचार और समाधान सामने आएंगे वे न केवल हिमालयी क्षेत्र में जल संरक्षण के प्रयासों को मजबूती देंगे, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने में भी महत्वपूर्ण साबित होंगे।”
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा देश में शुरू की गई अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत 1092 अमृत सरोवरों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा, “मैंने नदी जोड़ो योजना के अंतर्गत ग्लेशियरों से निकलने वाली पिंडर नदी को कोसी, गगास, गोमती और गरुड़ नदियों में स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध नीति आयोग की बैठक में किया था। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश के कई जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए जल उपलब्ध हो सकेगा।”
"मैंने नदी जोड़ो योजना के अंतर्गत ग्लेशियरों से निकलने वाली पिंडर नदी को कोसी, गगास, गोमती और गरुड़ नदियों में स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध नीति आयोग की बैठक में किया था। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश के कई जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए जल उपलब्ध हो सकेगा।": माननीय मुख्यमंत्री… pic.twitter.com/NZT8Q4IVR9
— Office Of Pushkar Singh Dhami (@OfficeofDhami) February 17, 2025
सीएम धामी ने कहा, कि कार्यशाला के दौरान जो तमाम बिंदु सामने आएंगे वो न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि अन्य हिमालय राज्यों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होंगे। उन्होंने कहा, कि पिंडर नदी और कोशी नदी से जोड़ देंगे, तो इससे लगभग 2 लाख लोगों को पेयजल के साथ ही सिंचाई के साधन भी मिल सकेंगे।