सनातन हिन्दू धर्म के प्रतीक भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या मंदिर के विवाद को वर्षो तक लटकाने के पश्चयात,वर्तमान समय में अब सुन्नी वक्फ बोर्ड भगवान शिव की काशी में स्थित विश्वनाथ मंदिर के मामले में आये वाराणसी न्यायालय के निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपनी में याचिका दाखिल करते हुए माननीय हाई कोर्ट से वाराणसी कोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की है।
बीते दिनों जब से वाराणसी स्थानीय न्यायालय द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित ज्ञानवापी मज्जिद पर एक पांच सदस्यीय पुरातात्विक सर्वेक्षण दल का गठन किया था। न्यायलय द्वारा दल को यह पता लगाने को कहा है, कि क्या ज्ञानवापी मज्जिद के गर्भ में पुरातन हिन्दू मंदिर विराजमान है,और वह इस सम्बन्ध में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करे। गौरतलब है कि पांच सदस्यों के दल में दो सदस्य मुस्लिम है।
स्थानीय न्यायलय द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश के बाद देश के भीतर मौजूद तथाकथित सेक्युलर वर्ग एवं सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य इस फैसले से सहम कर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल कर दी है। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने अपनी याचिका में कहा है,कि 8 अप्रैल के वाराणसी न्यायलय के निर्णय पर तत्काल रोक लगाए। यह निर्णय 1991 के प्लेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है। जिसमे मस्जिद परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण करने की अनुमति प्रदान की गयी है।
पुरातात्विक सर्वेक्षण से आखिरकार मुस्लिम संगठन इतने घबराये हुए क्यों है? क्या वे नहीं चाहते है, कि इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये। यदि वे सत्य बोल रहे है, तो वे इतना भयभीत क्यों है? पुरातात्विक सर्वेक्षण के पश्चयात मस्जिद परिसर की स्थिति स्पष्ठ हो जाएगी। दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद उस जगह पर स्थित है, जँहा प्राचीन काल से ही भगवान काशी विश्वनाथ का मुख्य मंदिर स्थित था। जहा विदेशी आक्रमणकारियों के वंशज औरंगजेब ने 1669 से 1970 के मध्य ज्ञानवापी मस्जिद के गुम्बंद बनाकर मूल मंदिर के स्वरुप को तोड़ दिया था। यह उसी प्रकार का कृत्य था, जिस प्रकार मथुरा के मुख्य मंदिर को तोड़कर वहां शाही इमाम मस्जिद का निर्माण किया गया।
मामला अब माननीय हाई कोर्ट के पास पंहुचा है, गौरतलब है, कि यह वही वफ्फ बोर्ड है। जिसने तक़रीबन चार दशकों से हिन्दू समाज के लोगो को आयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शनों से वंचित रखा और अब वे भगवान काशी विश्वनाथ के परिसर से शिवभक्तो को दूर रखने का षड्यंत्र रच रहे है। परन्तु 2019 में आये माननीय सुप्रीम कोर्ट के आयोध्या निर्णय के बाद सनातन समाज की प्राचीन धरोहर एवं मंदिरो की पुनर्स्थापना की क्षीण हो चुकी आशा दोबारा जाग चुकी है।