26 जनवरी 2021 के दिन लाल किले पर किसान टैक्टर परेड के दौरन, प्रदर्शनकारियों ने जो अराजकता और हिंसा का खेल खेला था, उसे शायद अब तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने के बाद किसान संगठन भूल गए होंगे, लेकिन लोकतंत्र को शर्मसार करने वाले उस दिन को आम नागरिक नहीं भूला है। देश की राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी 2021 को किसान प्रदर्शनकारियों ने जो हिंसा और अराजकता का खेल खेला था, उस घटना को अब एक वर्ष पूरे हो गए है।
दहशत और डर के माहौल से अब तक नहीं उबरी दिल्ली
पिछले वर्ष 26 जनवरी के दिन कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन के नाम पर प्रदर्शनकारियों ने असंख्य पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों, पत्रकारों और सामान्य नागरिकों को अपनी हिंसा का शिकार बनाया। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली की सड़को पर दहशत और डर का ऐसा जहरीला माहौल बनाया, जिसकी घुटन से आज तक दिल्ली के लोग उबरे नहीं है। शांतिपूर्ण मार्च के नाम पर प्रदर्शनकारियों ने अराजकता पैदा करने के लिए धोखे का सहारा लिया था।
शांतिपूर्ण विरोध का भरोसा दिया था
पुलिस प्रशासन से कई स्तर की बातचीत के बाद किसान नेताओं को गणतंत्र दिवस के दिन ‘ट्रैक्टर परेड’ निकालने की मंजूरी मिली थी। किसान नेताओ ने प्रशासन को भरोसा दिलाया था, कि उनका विरोध शांतिपूर्ण होगा, लेकिन इसके बाद गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली की सड़को को युद्ध का मैदान बना डाला। आंदोलनकारी किसानों ने पुलिस के कई वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए। प्रदर्शनकारी पुलिस के वज्र वाहनो पर चढ़कर जमकर तोड़-फोड़ और खुलेआम तलवारें लहराने लगे।
महिला पुलिसकर्मियों से की बदसलूकी
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ जमकर हाथापाई की, और तलवार भाँजते हुए पुलिसकर्मियों को खदेड़ने लगे। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है, कि सड़क पर प्रदर्शनकारियों ने एक महिला पुलिसकर्मी को घेर कर पकड़ लिया, और प्रदर्शनकारियों ने महिला पुलिसकर्मी के साथ अभद्रता की। वही एक अन्य वीडियो में देखा गया, कि उत्पात मचा रही भीड़ में से लाल किले पर एक आदमी ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपमानजनक तरीके से दूर फेंक अपना झंडा लगा दिया।
अब तक नहीं हुई कोई ठोस कार्यवाही
अराजक प्रदर्शनकारियों को लाल किला की दीवारों पर टॉयलेट करते हुए देखा गया। इस दौरान कई राजनीतिक दलों और पत्रकारों ने फेक न्यूज फैला कर माहौल बिगाड़ने का प्रयास भी किया। लोकतंत्र को हिला देने वाली इस घटना के बाद खालिस्तानी संगठन (SFJ) ने लाल किले पर झंडा फहराने वाले व्यक्ति को (2.61 करोड़ रुपए) देने की घोषणा भी की थी। गणतंत्र दिवस पर हुई इस शर्मनाक घटना पर शायद ही अब तक कोई ठोस क़ानूनी कार्यवाही हुई है। आखिरकार केंद्र सरकार को किसान संगठनों की मांगो को मानते हुए, तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े थे।