विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 17 दिसम्बर 2021 को 9वीं कोविड वैक्सीन को “इमर्जन्सी यूज़ अप्रूवल” दिया, यानी कि आपातकाल स्थिति में उपयोग की संस्तुति दी – इस वैक्सीन का नाम है “कोवोवैक्स”। इसको अमरीका की नोवोवैक्स कम्पनी और कोअलिशन फ़ोर एपिडेमिक प्रिपेरेड्नेस इनिशटिव ने मिलकर बनाया है। इसकी दो खुराक लगती है, और इसको 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रखना होगा। अभी यूरोप मेडिसिन एजेन्सी ने इस वैक्सीन को पारित नहीं किया है, जहां इसकी अर्जी अभी भी विचाराधीन है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक प्रणाली बनायी है जिससे की सभी वैक्सीन निर्माता वहाँ पर उचित दाम में गुणात्मक दृष्टि से संतोषजनक वैक्सीन दें, और जरुरत के अनुसार यह प्रणाली दुनिया भर में वैक्सीन उपलब्ध करवाए। इस प्रणाली को “कोवैक्स” कहते हैं। कोवैक्स खासकर गरीब और मध्यम वर्गीय देशों और सभी को टीके उपलब्ध करवाती है। परंतु निर्माता वैक्सीन अपेक्षा के अनुरूप कोवैक्स को दे नहीं रहे है , बल्कि सीधे अमीर देशों को पंहुचा रहे है।
कुछ माह पहले, नोवोवैक्स ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ समझौता किया था, कि वह नयी वैक्सीन “कोवोवैक्स” के 35 करोड़ टीके विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोवैक्स प्रणाली को देगा, लेकिन यह समझौता क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं है। उम्मीद की जा रही है, कि नोवोवैक्स 35 करोड़ टीके कोवैक्स प्रणाली को देगा।
नोवोवैक्स का यह टीका कोवोवैक्स, भारत में स्थित सीरम इन्स्टिटूट ओफ़ इंडिया बनाएगा। भारत सरकार की समिति के अध्यक्ष ने हाल ही में मीडिया को बताया, कि कोवोवैक्स टीका बूस्टर की तरह लगने के लिए बेहतर है। सवाल यह उठता है, कि क्या भारत में निर्मित होने वाला यह टीका कोवोवैक्स जो अमरीकी कम्पनी नोवोवैक्स का है, अनुबंध के अनुसार पहले कोवैक्स प्रणाली को दिया जाएगा जिससे की टीके से वंचित लोगों को प्रथम खुराक लग सके, या कि वह बूस्टर की तरह उनको लगेगा, जिन्हें इस साल पूरी खुराक पहले ही लग चुकी है?
दुनिया में एक साल पहले कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हुई थी, और भारत में 16 जनवरी 2021 से कोविड वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। एक वर्ष में दुनिया भर में सभी पात्र लोगों को कोविड वैक्सीन की पूरी खुराक लग जानी चाहिए थी। परंतु जिस असमानता से वैक्सीन लगी उसके कारण एक ओर तो दुनिया के आधे से अधिक देश अपनी आबादी के टीकाकरण को तरस गए, और वहीं दूसरी ओर कुछ अमीर देशों की अधिकांश पात्र आबादी को न सिर्फ़ पूरी खुराक टीका मिला बल्कि अब बूस्टर टीका मिल रहा है।
सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका और लारेटो कॉन्वेंट कॉलेज की भौतिक विज्ञान की सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षिका शोभा शुक्ला ने बताया, कि अक्टूबर 2021 में इंग्लैंड में प्रतिदिन 10 लाख बूस्टर टीके लग रहे थे, जबकि अफ्रीका के देशों में मात्र 3.3 लाख प्रथम खुराक वैक्सीन की लग रही थी ।
शिक्षिका शोभा शुक्ला ने बताया, कि जब तब दुनिया की जनसंख्या में सभी पात्र लोगों को समयबद्ध तरीक़े से पूरी खुराक वैक्सीन की नहीं लग जाती, तब तक कोरोना संक्रमण एक चुनौती बना रहेगा। जिन्हें टीका नहीं लगा है, उनके संक्रमित होने का अत्यधिक खतरा बना रहेगा और गम्भीर परिणाम (जिसमें मृत्यु शामिल है) होने का खतरा कई गुना बाद जायेगा। इंग्लैंड में हुए शोध के अनुसार, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, उन्हें गम्भीर परिणाम भुगतने का खतरा 30 गुना अधिक है, उन लोगों की तुलना में जिन्हें वैक्सीन की पूरी खुराक लग चुकी है।
इसी असमानता के कारण आज दुनिया के आधे से अधिक देश ऐसे है, जहां 40 फीसदी पात्र आबादी का टीकाकरण नहीं हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों के साथ यह लक्ष्य रखा था, कि दिसंबर 2021 तक सभी देशों की जनसंख्या के कम-से-कम 40 फीसदी का पूरा टीकाकरण हो। परन्तु 193 में से 98 देश ऐसे है, जो अभी तक इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए है। उसी प्रकार सितम्बर 2021 तक कम-से-कम 10% आबादी का पूरा टीकाकरण करना था। परन्तु चालीस से भी अधिक ऐसे देश है, जो यह लक्ष्य दिसम्बर 2021 तक भी पूरा नहीं कर पाए है ।
जाहिर सी बात है, कि कोरोना उन्हीं लोगों को अधिक संक्रमित कर रहा है, और उन्हें ही गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ रहे है, जिनका टीकाकरण अभी तक हुआ है। अस्पताल में भर्ती, ऑक्सिजन की ज़रूरत या वेंटिलेटर आदि की इन्हीं वैक्सीन से वंचित लोगों को अधिक ज़रूरत पड़ रही है। अमीर देशों में जो लोग अभी वैक्सीनेशन से छूट गए है, उनको ही कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है। इसी तरह गरीब और मध्यम वर्गीय देशों में भी जो लोग वैक्सीनेशन से छूट गए है, उनके ही संक्रमित होने का और गम्भीर परिणाम झेलने का अत्यधिक खतरा है।
वायरस की प्रवृत्ति यही है, कि वह संक्रमित कर के म्यूटेशन कर सकता है। इसी म्यूटेशन से वायरस में परिवर्तन आ जाता है, जिससे खतरा बढ़ अथवा कम हो जाता है। वायरस अधिक या कम संक्रामक हो सकता है, अधिक या कम रोग उत्पन्न कर सकता है, आदि। जितना वायरस संक्रमित करेगा, उतना खतरा म्यूटेशन और उसके कारण हुए बदलाव का मंडराएगा। इसीलिए कोरोना वायरस पर अंकुश लगाने के लिए यह जरुरी है, कि सभी लोग, भले ही वह अमीर देश में हों, अथवा गरीब देशो में, सभी लोग सुरक्षित रहें और संक्रमण से बचें और पूरा वैक्सीनेशन करवाएँ।
नोवोवैक्स के इस टीके कोवोवैक्स से सम्बंधित सभी वैज्ञानिक आँकड़े और सुरक्षा और प्रभाव सम्बन्धी सभी तथ्यों का मूल्यांकन किया गया और जहां यह बनाया जाएगा (भारत में स्थित सीरम इन्स्टिटूट ऑफ इंडिया) वहाँ का भी दौरा किया गया और सभी व्यवस्था का मूल्यांकन किया गया है। सीरम इन्स्टिटूट ऑफ इंडिया का इस नयी वैक्सीन बनाने से सम्बंधित व्यवस्था की जाँच ड्रग कंट्रोलर जेनरल ओफ़ इंडिया ने की। इसी के पश्चात विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस टीके को संस्तुति दी है। यह संस्तुति आपातकालीन उपयोग के लिए मिली है, जो नौ टीकों को मिल चुकी है। शोध जारी रहेंगे और जिनके आधार पर, कोवोवैक्स समेत सभी नौ टीकों को भविष्य में शायद पूरी संस्तुति मिल सकेगी।
बॉबी रमाकांत – सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक से पुरस्कृत बॉबी रमाकांत, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस), आशा परिवार और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) से जुड़े हैं। उन्हें ट्विटर पर पढ़ें: @BobbyRamakant)
Disclaimer : राष्ट्रध्वनि पोर्टल पर मौजूद यह लेख मात्र संदर्भ के लिए है। कंटेंट के निर्माण से ‘राष्ट्रध्वनि’ का कोई संबंध नहीं है। कृपया पाठक अतिथि लेखक की पोस्ट या प्रायोजित लेख पर अपने विवेक का इस्तेमाल करें।