तमिलनाडु में उत्तर प्रदेश और बिहार के आप्रवासी श्रमिकों का मुद्दा उठाने के चलते स्टालिन सरकार के निशाने पर आए यूट्यूबर मनीष कश्यप की माँ ने देश की राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। मनीष कश्यप की माँ मधु देवी ने बुधवार (6 सितंबर 2023) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर तमिलनाडु पुलिस द्वारा उनके बेटे के खिलाफ कथित तौर पर दो राज्यों के बीच तनाव पैदा करने के लिए लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) पर सवाल उठाए है।
मनीष कश्यप की मां ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र #ManishKashyap pic.twitter.com/ruDCegFCZ2
— Kreately.in (@KreatelyMedia) September 7, 2023
ऑपइंडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति को लिखे पत्र में मनीष कश्यप की माँ ने लिखा है, कि उनके बेटे ने अपने यूट्यूब वीडियो के माध्यम से तमिलनाडु में कुछ बिहारी मजदूरों के साथ कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया था। हालाँकि, तमिलनाडु पुलिस ने इसे झूठा पाया और छह अलग-अलग मामले दर्ज किए। उनके बेटे के विरुद्ध एनएसए लगाने के साथ ही एफआईआर भी दर्ज की गई।
पत्र में उल्लेख किया गया है, कि विचाराधीन वीडियो इस वर्ष 15 फरवरी से तमिलनाडु से प्रसारित किया जा रहा था, केवल यह जोड़ा गया कि देश के प्रिंट मीडिया ने 21 फरवरी के बाद इसके बारे में समाचार लेख प्रकाशित किए। इसके बाद, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी इस मुद्दे को उठाया और अंततः राजनेताओं ने इस खबर पर टिप्पणी की।
मधु देवी ने पत्र में लिखा, कि तमिलनाडु और बिहार सरकार ने मनीष कश्यप को फँसाने की साजिश रची, जबकि उनका ‘विवादास्पद’ वीडियो मार्च में सामने आया था। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे ने भी मार्च में बिहारी प्रवासी मजदूरों की खबर पर एक वीडियो बनाया और बिहार सरकार से सवाल किया कि बिहारी मजदूरों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जाता है, लेकिन बिहार सरकार और तमिलनाडु सरकार ने मिलकर सख्त एनएसए लागू कर दिया।”
उन्होंने पत्र में आगे लिखते हुए कहा, “अगर मेरे बेटे की वजह से दो राज्यों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई, तो एक मुख्यमंत्री का बेटा, जो तमिलनाडु में मंत्री भी है, उस उदयनिधि स्टालिन के बयान पर तो पूरे देश में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी, फिर भी उन्हें NSA में गिरफ्तार करके जेल में क्यों नहीं डाला जा रहा है? अगर संविधान सबके लिए बराबर है, तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे पर भी NSA लगाई जाए।”
उन्होंने लिखा, कि तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों के साथ जो घटना हुई थी, उसकी जाँच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित स्वतंत्र कमिटी द्वारा कराई जाए। उन्होंने उम्मीद जताई, कि मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि को भी वही सजा दी जाएगी, जो भारत के एक आम नागरिक द्वारा गलती करने पर कोर्ट द्वारा उसे दी जाती है।